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19. नारियल

1. ॐ श्री परमात्मने नमः।

2. अ….. उ …..म …..।

3. ईश्वर परमदयालु पत्मात्मा है। ईश्वर की आप सभी पर कृपा है।

4. यह सृष्टि ईश्वर की है। आपके पास जो भी है वह ईश्वर का है।

5. ईश्वर की चीज ईश्वर को देने में त्याग कैसा? इसमें बलिदान कैसा?

6. कुछ लोग कहते है की ईश्वर को क़ुरबानी/बलि अच्छी लगती है। तुम उनसे कहो, “जो ईश्वर का है उसको वापस ईश्वर को देने में कैसी क़ुरबानी? कैसी बलि? यह क़ुरबानी या बलि अज्ञान है। छोडो यह अज्ञान।” ईश्वर क्षमाशील और कृपालु है।

7. ईश्वर की बनायीं हुई चीज को ईश्वर को खुश करने के लिए काटना यह मानव का अज्ञान है, यह अन्धश्रध्दा है।

8. तुम्हारी यह कृति ईश्वर को बदनाम करती है। यह कृति ईश्वर के मार्ग में भयंकर अपराध है। तुम इस अपराध से बचो। ईश्वर सब देख रहा है। वह सर्वज्ञ है।

9. कुछ अघोरी लोग उनके देवता को खुश करने के लिए लोगों को मारते है। उनसे कहो, “क्या तुम ईश्वर को दानव समझते हो? क्यों तुम इसतरह ईश्वर का अपमान करते हो? बाझ आओ, मारने, मरवाने से ईश्वर खुश नहीं होता। वह परमदयालु परमात्मा है। वह सबको सुखी देखना चाहता है।

10. कुछ कबिलाई लोग उनके देवता को खुश करने के लिए जानवरों की बलि देते है। क्या उनके देवता का भोजन जानवर है? क्या वे उनके देवता को बकासुर समझते है? उनको कहो की बाझ आओ, जानवरों को मारने से ईश्वर को कोई खुशी नहीं। वह परमदयालु परमात्मा है। तुम्हारी हिंसा ईश्वर को मान्य नहीं है।

11. मानव की इस अज्ञानता को दूर करने के लिए ईश्वर ने ऋषियों को उपदेश किया, “दुनिया के सभी ओर अहिंसा का प्रचार करो। मै मानव और जानवरों की हत्याए देखकर दुखी हू। यह निर्ममता, निर्दयता देख कर मुझे अतिव कष्ट होता है। मानव द्वारा किया हुआ यह कृत्य मुझे अपमानित और बदनाम कर रहा है। यह मानव का अधर्म है। जाओ उनको सत्यमार्ग पर लेकर आओ।”

12. ऋषिओं ने सभी ओर अहिंसा का प्रचार-प्रसार किया। लेकिन कुछ दुराग्रही विरोध करने लगे।

13. जैसे बच्चा खिलौना छोड़ने से मना करता है, और दूसरा खिलौना देते ही पहला खिलौना छोड देता है। वैसे ही मानवों से यह हिंसा छोड ने के लिए ऋषि तरकीब सोचने लगे। तभी ईश्वर ने नारियल का निर्माण किया।

14. तब से आज तक अहिंसा प्रिय लोग ईश्वर के सामने नारियल चढाते है।

15. नारियल से हिंसा कम हुई। अंधकार नष्ट हुआ। किन्तु आज भी कुछ दुराग्रही अंधकार को अपना रहे है। उनके लिए अधोगति है।

16. कुछ मांसाहारी आज भी मांस खाने के लिए क़ुरबानी/बलि देते है, और ईश्वर को बदनाम करते रहते है। अगर उनको मांसाहार खाना ही है, तो ईश्वर को बदनाम करके क्यों?

17. क्यों वे ईश्वर को बदनाम करने से बाझ नहीं आते? क्यों वे ईश्वर का अपराध कर रहे है? तुम इस अपराध से बचो। ईश्वर सब देख रहा है, वह सर्वज्ञ है। जो अवज्ञा करेगा उसके लिए अधोगति है। तुम इस अवज्ञाकारीयों जैसा मत बनो।

18. नारियल यह अहिंसा का प्रतिक है। नारियल के उपयोग से समाज सुसंस्कृत बनने लगा, ईश्वर का सन्मान करने लगा।

19. नारियल यह सर्वोत्तम प्रसाद है। जब से लोगों ने नारियल का उपयोग किया, उसका प्रसाद ग्रहण करना शुरू किया, तब से ईश्वर की कृपा बरसने लगी। इससे लोगों के दुःख-दर्द दूर होने लगे। तुम सभी इसी मार्ग पर कायम रहो।

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